GST: एक्सपोर्टर अगर अंडरटेकिंग देते हैं तो नहीं चुकाना पड़ेगा टैक्स

GST: एक्सपोर्टर अगर अंडरटेकिंग देते हैं तो नहीं चुकाना पड़ेगा टैक्स: एक्सपोर्टर अगर बॉन्ड या अंडरटेकिंग देते हैं तो उन्हें एक्सपोर्ट के वक्त GST (गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स) नहीं चुकाना पड़ेगा। GST कानून में इसका प्रोविजन है। कस्टम डिपार्टमेंट ने इसका सर्कुलर भी जारी कर दिया है। इसके मुताबिक, एक्सपोर्ट्स के लिए दो अॉप्शन होंगे। पहला तो अंडरटेकिंग का है। दूसरा, एक्सपोर्ट्स प्रोडक्ट पर आई GST चुकाए और बाद में उसका रिफंड क्लेम कर ले। एक राज्य से दूसरे राज्य में गुड्स या सर्विसेस की सप्लाई पर IGST लगता है। सप्लायर खुद कंटेनर सील कर सकेगा

IGST कानून के मुताबिक, इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट को भी इंटर-स्टेट कारोबार के बराबर (डीम्ड) माना जाएगा, लेकिन एक्सपोर्ट के लिए गुड्स एंड सर्विसेस की सप्लाई को ‘जीरो रेटेड सप्लाई’ माना गया है।

सीबीईसी ने कंटेनर सील करने के नियम भी आसान बना दिए हैं। अब सप्लायर खुद कंटेनर सील कर सकता है। पहले किसी रेवेन्यू अफसर देखरेख में ऐसा करना पड़ता था। हालांकि, सेल्फ-सीलिंग का प्रोविजन 1 सितंबर से लागू होगा। तब तक पुरानी प्रॉसेस चलती रहेगी।

GST: एक्सपोर्टर अगर अंडरटेकिंग देते हैं तो नहीं चुकाना पड़ेगा टैक्स

बाॅन्ड या अंडरटेकिंग दिया तो

बिना टैक्स चुकाए एक्सपोर्ट कर सकते हैं। प्रोडक्ट खरीदते वक्त जो भी टैक्स चुकाया, उसका रिफंड क्लेम कर सकते हैं। इसके लिए GSTN पर इलेक्ट्रॉनिक अप्लाई करना होगा।

एक्सपोर्ट के वक्त टैक्स दिया तो

रिफंड क्लेम के लिए कोई एप्लिकेशन नहीं देना पड़ेगा। नए फॉर्मेट के शिपिंग बिल में IGST इनवॉयस का जिक्र होगा। इसी को (डीम्ड) एप्लिकेशन मान लिया जाएगा।

फर्टिलाइजर कंपनियों को 3 महीने में बेचना होगा पुराना स्टॉक

  • सरकार ने कंपनियों को फर्टिलाइजर के पुराने स्टॉक पर नया एमआरपी प्रिंट करने की इजाजत दे दी है। कंपनियों के पास करीब 10 लाख टन पुराना स्टॉक है। इसे नई एमआरपी के साथ बेचने के लिए उन्हें तीन महीने का वक्त दिया गया है।
  • फर्टिलाइजर मिनिस्टर के एक अफसर ने बताया कि बैग या पैकेट पर पुरानी एमआरपी को ओवरराइट या मिटा नहीं सकते। यानी बैग पर पुरानी और नई दोनों कीमतें साफ होंगी।
  • मैन्युफैक्चरर और इम्पोर्टर को अखबारों में रिवाइज्ड रेट का ऐड देना पड़ेगा।
  • केमिकल फर्टिलाइजर्स पर 5% GST तय किया गया है। सरकार ने यूरिया की रिटेल कीमत अभी 5,360 रु./टन तय कर रखी है
  • कंपनियों द्वारा तय डीएपी की कीमत 22,000 रु. और पोटाश की 11,000 रु./टन है

ट्रेडर: बिल में टैक्स CGST और SGST दोनों में बराबर दिखाना पड़ेगा

Ques. 30 जून तक जो मेरे पास क्लोजिंग स्टॉक था, उस पर पहले 6% वैट था, अब 12% GST है। इसका टैक्स का जो अंतर है वो मुझे कैसे मिलेगा?

Ans. वैट का क्रेडिट एसGST क्रेडिट में कैरी फॉरवर्ड हो जाएगा। एक्साइज का क्रेडिट सीGST में क्लेम कर सकते हैं। एक्साइज पेमेंट का इनवॉयस नहीं होने पर सीGST 9% या 14% है तो 60% क्रेडिट मिलेगा। 5% या 12% है तो 40% क्रेडिट मिलेगा।

Ques. मैं गुजरात, राजस्थान से खरीद करता हूं। उनके सेट बनाता हूं। लहंगे का कपड़ा गुजरात का और कुरती-ओढ़नी का राजस्थान का लगाता हूं। उनमें वर्क भी करवाता हूं। मुझे किस तरह बिल बनाना पड़ेगा? मुझे कितना GST लगेगा?

Ans. आप सिर्फ कपड़ा (फैब्रिक) बेचते हैं, सिले-सिलाए कपड़े नहीं। फैब्रिक पर 5% टैक्स है। आप दूसरे राज्यों से जो भी खरीदेंगे, उस फैब्रिक पर 5% आईGST चुकाना होगा। आप अपने स्टेट में जो फैब्रिक बेचेंगे, उस पर भी 5% रेट से ही टैक्स लगेगा। आप जो बिल बनाएंगे उसमें 2.5% सीGST और 2.5% एसGST होगा।

Ques. ट्रांसपोर्टर हूं। मुझे GST लेना है या नहीं? साल की 75 लाख रुपए की बिलिंग है। रिटर्न कितनी बार भरनी है?

Ans. GST रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा। छूट सिर्फ 20 लाख तक के लिए है। अगले महीने की 10 तारीख तक रिटर्न भरना है। रिटर्न कहने को तीन हैं, लेकिन आपको सिर्फ अपनी सप्लाई का रिटर्न भरना है। किसी से कुछ खरीदा है तो उसके रिटर्न से आपका दूसरा रिटर्न अपने आप भरा हुआ दिखेगा। आपने कुछ खरीदा, लेकिन वह दूसरे रिटर्न में नहीं दिख रहा तब उसे आपके मैनुअली भरना पड़ेगा। तीसरे रिटर्न में आपकी खरीद-बिक्री सब एक साथ दिखेगी। सब ठीक है तो आपको बस ओके करना है।

Ques. मैं गवर्मेंट सप्लायर हूं। मेरी फर्म अभी कंपोजिशन स्कीम में रजिस्टर्ड है। टर्नओवर 20 लाख से कम है। GST में रजिस्ट्रेशन जरूरी है? बाद में कभी टर्नओवर 20 लाख से ज्यादा हो गया तो?

Ans. कंपोजिशन में हैं तो पहले माइग्रेशन करना पड़ेगा। उसके बाद चाहें तो रजिस्ट्रेशन कैंसल करने के लिए अप्लाई कर सकते हैं। बाद में जब भी टर्नओवर 20 लाख पूरा हो, आपके पास नए रजिस्ट्रेशन के लिए 30 दिन होंगे।

Ques. मैं जीआई वायर और प्लेन शीट से रैट ट्रैप बनाता हूं। सालाना बिजनेस 20 लाख से कम है। पहले मेरी फर्म वैट में रजिस्टर्ड थी। अब GST में एनरोलमेंट हो गया। दूसरे राज्यों को भी सप्लाई है। कितना GST लगेगा? क्या कंपोजिशन में जा सकता हूं?

Ans. आपके प्रोडक्ट का नाम सरकार की तरफ से जारी लिस्ट में नहीं है। जिन चीजों से आप ट्रैप बनाते हैं, वे 18% में हैं। दूसरे राज्यों में सप्लाई है तो कंपोजिशन में नहीं जा सकते।

Ques.  मैंने अपनी प्लान्ट के लिए नई मशीन खरीदी है। इस पर 18% आईGST चुकाया है। क्या इनपट टैक्स क्रेडिट क्लेम कर सकता हूं?

Ans.  हां, आप मशीनरी पर चुकाए गए टैक्स का क्रेडिट क्लेम कर सकते हैं।

Ques. मैं स्कूली बच्चों के स्लेट बनाता हूं, जो GST में टैक्स-फ्री है। टर्नओवर 2 करोड़ रुपए है। क्या मुझे GST में रजिस्ट्रेशन लेना पड़ेगा और नियमित रिटर्न फाइल करना पड़ेगा?

Ans.अगर सिर्फ टैक्स-फ्री आइटम का बिजनेस है तो GST रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं।

Ques. वुडन फर्नीचर बनाने की फर्म है। 6 लाख टर्नओवर है। वैट से GST में एनरोलमेंट हो गया। रजिट्रेशन जमा करा देता हूं तो उसके बाद भी दूसरे व्यापारियों को माल बेच सकता हूं या नहीं? रॉ मटेरियल GST चुका कर लेता हूं।

Ans.अनरजिस्टर्ड व्यक्ति रजिस्टर्ड को सामान बेच सकता है। लेकिन रजिस्टर्ड व्यक्ति को रिवर्स चार्ज में टैक्स चुकाना होगा। इसलिए वे आपसे सामान खरीदने से कतराएंगे। आप अनरजिस्टर्ड होंगे तो रॉ मटेरियल पर चुकाए गए टैक्स का क्रेडिट भी नहीं मिलेगा।

Ques.  मैं वैट में रजिस्टर्ड हूं। जो सामान बेचता हूं उस पर वैट में टैक्स नहीं लगता था, लेकिन GST में टैक्सेबल है। मुझे इनपुट क्रेडिट मिलेगा? मेरी वर्कशॉप है, उसमें सामान का क्रेडिट कैसे मिलेगा?

Ans.   इनपुट सिर्फ टैक्स का मिलेगा। जब आपने पहले टैक्स नहीं चुकाया (टैक्स-फ्री) तो क्रेडिट भी क्लेम नहीं कर सकते। वैट में रजिस्टर्ड थे तो किसी भी क्रेडिट के लिए तत्काल GST में माइग्रेट कीजिए।

क्या है GST?

  • GST का मतलब गुड्स एंड सर्विसेस टैक्‍स है। इसको केंद्र और राज्‍यों के 17 से ज्‍यादा इनडायरेक्‍ट टैक्‍स के बदले में लागू किया जाएगा। ये ऐसा टैक्‍स है, जो देशभर में किसी भी गुड्स या सर्विसेस की मैन्‍युफैक्‍चरिंग, बिक्री और इस्‍तेमाल पर लागू होगा।
  • इससे एक्‍साइज ड्यूटी, सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी), स्टेट के सेल्स टैक्स यानी वैट, एंट्री टैक्स, लॉटरी टैक्स, स्टैम्प ड्यूटी, टेलिकॉम लाइसेंस फीस, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या बिक्री और गुड्स के ट्रांसपोर्टेशन पर लगने वाले टैक्स खत्म हो जाएंगे।
  • सरल शब्‍दों में कहें तो GST पूरे देश के लिए इनडायरेक्‍ट टैक्‍स है, जो भारत को एक समान बाजार बनाएगा। GST लागू होने पर सभी राज्यों में लगभग सभी गुड्स एक ही कीमत पर मिलेंगे। अभी एक ही चीज के लिए दो राज्यों में अलग-अलग कीमत चुकानी पड़ती है। इसकी वजह अलग-अलग राज्यों में लगने वाले टैक्स हैं। इसके लागू होने के बाद देश बहुत हद तक सिंगल मार्केट बन जाएगा।

GST लागू होने से क्या होगा?

GST यानी गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स। इसे केंद्र और राज्यों के 20 से ज्यादा इनडायरेक्ट टैक्स के बदले लगाया जा रहा है। GST के बाद एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम, वैट/सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स, लग्जरी जैसे टैक्स खत्म होंगे।

GST लागू होने से आम आदमी को क्या फायदा होगा?

  • टैक्सों का जाल और रेट कम होगा: अभी हम अलग-अलग सामान पर 30 से 35% टैक्स देते हैं। GST में कम टैक्स लगेगा।
  • एक देश, एक टैक्स: सभी राज्यों में सभी सामान एक कीमत पर मिलेगा। अभी एक ही चीज दो राज्यों में अलग-अलग दाम पर बिकती है, क्योंकि राज्य अपने हिसाब से टैक्स लगाते हैं।

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