VAT and GST, Central Excise & GST, CST & GST Difference in Hindi

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वेट और जी.एस.टी.

हमारे देश में 2005 एवं 2006 में सभी राज्यों में वेट लागू किया गया था अब व्यवहारिक रूप से इसे समझें तो इसी वेट को जी.एस.टी. के तहतराज्यों के जी.एस.टी.” अर्थात “एस.जी.एस.टी.” में परिवर्तित करते हुए इसमे माल के साथ – साथ सेवाओं को भी शामिल कर कर लिया जाएगा. वेट अगर यावहारिक रूप से देखा जाए तो समाप्त नहीं होगा लेकिन इसका नाम बदल जाएगा और इसे अब “एस.जी.एस.टी.” के नाम से जाना जाएगा और यदि आप अगले पैरा में वर्णित सी.जी.एस.टी. को भी समझ लें तो आपको पता लगेगा कि एक ही बिल में अब एक और कर सी.जी.एस.टी. भी आपको एकत्र कर जमा करना होगा . व्यवहारिक रूप से राज्यों में लगने वाले सभी अप्रत्क्ष करएस.जी.एस.टी.” में समाहित हो जायेंगे.

हमारे देश में अब सभी राज्यों में वेट लागू है इसलिए प्रक्रियात्मक स्वरूप से समझे तो राज्य सरकारों को जी.एस.टी. लागू करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए .

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केन्द्रीय उत्पाद शुल्क- सेन्ट्रल एक्साइज और जी.एस.टी.

केन्द्रीय उत्पाद शुल्क भारत में सरकारी राजस्व का एक बहुत बड़ा हिस्सा है एवं यह एक ऐसा अप्रत्यक्ष कर है जिसे केन्द्रीय सरकार वसूल करती है. यह कर वस्तु के निर्माता  की अवस्था पर लगता है . यह कर “सी.जी.एस.टी.” अर्थात केन्द्रीय जी.एस.टी. में समाहित हो जाएगा. लेकिन यहाँ यह ध्यान रखे कि केन्द्रीय उत्पाद शुल्क वस्तु की निर्माण की अवस्था तक ही लगता है जब कि सी.जी.एस.टी. वस्तु ी बिक्री की अवस्था तक लगना है इसलिए संवैधानिक संशोधन के जरिये पहले केन्द्रीय सरकार को यह अधिकार प्रदान किया गया है  कि वह माल की बिक्री पर भी कर लगा सके.

अब यह आप ध्यान रखें सभी वेट डीलर्स को एस.जी.एस.टी. के साथ – साथ केंद्र का जी.एस.टी. अर्थात “सी.जी.एस.टी.” भी भरना होगा भले ही बिक्री राज्य के भीतर ही क्यों नहीं हो इसके अतिरिक्त सेवाओं पर भी यही नियम लागू होगा  अर्थात अब सेवाओं पर भी राज्य एवं केंद्र दोनों ही कर वसूल करेंगे.

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जी.एस.टी. एवं केन्द्रीय बिक्री कर (सी.एस.टी.)

जी.एस.टी. के दौरान सी.एस.टी. का कोई अस्तित्व नहीं होगा  .

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आइये हम समझाने की कोशिश करें कि केन्द्रीय बिक्री कर क्या है और यह वेट एवं इसके बाद जी.एस.टी. की रह में क्यों एक मुश्किल माना जाता रहा है .   

जब वर्ष 2006 में राज्यों में वेट लागू किया गया था तब केन्द्रीय बिक्री कर अर्थात सी.एस.टी. को सबसे बड़ी बाधा माना गया था और यह वादा किया गया था कि प्रत्येक वर्ष एक प्रतिशत से इस दर को गिराकर अंत में इस कर को समाप्त कर दिया जाएगा लेकिन यह वादा पूरा नहीं किया गया और आज भी यह दर दो प्रतिशत पर कायम है और इसके साथ ही केन्द्रीय बिक्री कर पर एकत्र किये जाने वाले सी- फॉर्म की समस्या से पूरा ही व्यापार एवं उद्योग जगत परेशान है .

आइये पहले समझ ले कि केन्द्रीय बिक्री कर क्या है क्यों कि आम तौर पर इसका नाम यह संकेत देता है कि यह केंद्र सरकार द्वारा लगाया गया एक कर है जब कि सच्चाई यह है कि यह बिक्री करने वाले राज्य द्वारा दो राज्यों के मध्य होने वाले व्यापार पर वसूल किया जाने वाला कर है और देश के विकसित राज्य जिन्हें हम निर्माता राज्य भी कह सकते है इस कर से काफी राजस्व एकत्र करते है .

जी.एस.टी. एक अंतिम बिंदु पर अंतिम उपभोक्ता पर लगने वाला कर है अत; केन्द्रीय बिक्री कर का इसमे कोई स्थान नही होगा और इससे विकसित राज्यों अर्थात बिक्री करने वाले राज्यों के राजस्व पर भी नकारात्मक प्रभाव पडेगा जिसके बारे में भी केंद्र को इन राज्यों को राजस्व हानि की भरपाई करनी पड़ेगी.

जी.एस.टी. के दौरान केन्द्रीय बिक्री कर अर्थात सी.एस.टी. की समाप्ती सारे देश के डीलर्स को बहुत बड़ी राहत मिलने वाली है लेकिन आगे एक और कर प्रणाली है जो एस.जी.एस. टी. के नाम से लगने वाली है वह अब डीलर्स को पालन करनी होगी. आइये अब समझे कि यह आई.जी.एस.टी. किस तरह की कर प्रणाली है .

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