जून में ली सर्विस और जुलाई में आया बिल, तो देना होगा GST – Latest Updates

जून में ली सर्विस और जुलाई में आया बिल, तो देना होगा GST: 1 जुलाई से लागू हुआ जीएसटी जून में ली गई सर्विसेस पर भी लगेगा। जीएसटी जून में ली गई उन सभी सर्विसेस पर लगेगा, जिनका इनवॉइस (बिल) जुलाई में जारी हुआ हो। इसमें क्रेडिट कार्ड, टेलिफोन और अन्‍य सभी तरह की सर्विसेस शामिल होंगी।

भले ही जीएसटी लागू हो गया है लेकिन अभी भी 50 फीसदी कारोबारी परमानेंट रजिस्ट्रेशन के बिना ही कारोबार कर रहे हैं। ऐसे कारोबारियों को अब सरकार अलर्ट भेजने की तैयारी कर रही है। जिससे कि वह जल्द से जल्द परमानेंट रजिस्ट्रेशन करा ले। इसके लिए सरकार एसएमएस और ई-मेल के जरिए अलर्ट भेज रही है।

जून में ली सर्विस और जुलाई में आया बिल, तो देना होगा GST

इन सर्विसेस पर लगेगा जीएसटी

नया टैक्स रेजीम गुड्स एंड सर्विस टैक्‍स (जीएसटी) 1 जुलाई से लागू हो चुका है। एक सरकारी अधिकारी ने साफ किया कि जीएसटी जून में ली गई उन सभी सर्विसेस पर लगेगा, जिनका बिल जुलाई में जारी किया गया हो। इसमें वो सर्विसेस भी शामिल होंगी, जिनका बिल 1 जुलाई को जारी हुआ होगा। हालांकि यह उन पर लागू नहीं होगा, जिन्‍होंने जून में ही एडवांस पेमेंट कर दी होगी।

इनवॉइस डेट पर लगता है सर्विस टैक्‍स

एक सीनियर टैक्‍स अधिकारी ने बताया कि अगर आपका बिलिंग साइकिल  25 जून को खत्‍म होता है और आपका बिल 10 जुलाई को जारी होता है, तो आप पर जीएसटी लगेगा। उन्‍होंने बताया कि कानून के तहत जिस दिन इनवॉइस जारी होती है, उसी दिन सर्विस डिलीवर की गई माना जाता है। मौजूदा व्‍यवस्‍था के तहत सर्विस टैक्‍स इनवॉइस जनरेशन डेट पर लगाया जाता है या फिर जिस दिन पेमेंट की जाती है। इसमें से जो भी पहले होता है। सर्विस देने के 30 दिन के भीतर एनवॉइस जारी करना अनिवार्य है।

एडवांस पेमेंट पर नहीं होगा लागू

अगर कोई व्‍यक्ति बिल की एडवांस पेमेंट कर देता है। ऐसे में टैक्‍स लायबिलिटी भी उसी दिन लागू होगी, जिस दिन पेमेंट की गई होगी। सामान के मामले में कानून यह है कि जिस दिन इनवॉइस जारी की जाती है, उस दिन को सामान बेचने की तारीख मानी जाती है। इसके अनुसार ही टैक्‍स चार्ज किया जाता है।

बदल गया है सर्विस टैक्‍स

जून में ली गई जिन भी सर्विसेस पर सर्विस टैक्‍स लगता है, उन्‍हें जीएसटी के लागू होने पर ज्‍यादा टैक्‍स देना होगा। दरअसल जीएसटी से पहले सर्विस टैक्‍स 15 फीसदी था, लेकिन इस टैक्‍स पॉलिसी के लागू होने के बाद यह 18 फीसदी हो गया है। ऐसे में क्रेडिट कार्ड समेत बैंकिंग व अन्‍य कई सर्विसेस महंगी हो गई हैं।

इनके लिए GSTIN जरूरी नहीं

जीएसटी में सालाना 20 लाख रुपए तक टर्नओवर करने वाले कारोबारियों को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी नहीं है। हालांकि सरकार के इस नियम के बावजूद देश के कई इलाकों में छोटे कारोबारियों के लिए बिजनेस करना मुश्किल हो गया है। जिसका असर देश की बड़ी होलसेल मार्केट बिजनेस ठप होने के रूप में दिख रहा है। दिल्ली स्थित कपड़ा कारोबारी कारोबारी सुरेश बिंदल ने CAknowledge.in को बताया कि अब कारोबारी न ही गुजरात, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश से माल खरीद पा रह हैं और न ही दिल्ली एनसीआर, यूपी, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश तक स्टॉक भिजवा पा रहे हैं। क्योंकि कपड़ा ट्रेडर्स से कारोबारी जीएसटीएन नंबर मांग रहे हैं। वह कारोबारी नहीं दे पा रहे हैं। सारा कारोबार ठप हो गया है। इसी तरह सूरत में कारोराबी हड़ताल पर चले गए हैं। कारोबारियों का आरोप है कि बड़े कोराबारी छोटे कारोबारियों से बिना GSTIN के बिजनेस करने से बच रहे हैं।

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