जीएसटी प्रणाली में आयात: जीएसटी प्रणाली के अंतर्गत अनुच्छेद 269क संवैधानिक रूप से यह अधिदेशित करता है कि भारत के भू-भाग में आयातों के दौरान वस्तुओं अथवा सेवाओं अथवा दोनों की आपूर्ति को एकीकृत कर का उदग्रहण करने के उद्देश्य से अंतरराज्यिक व्यापार अथवा वाणिज्य के लिए वस्तुओं अथवा सेवाओं अथवा दोनों की आपूर्ति के रूप में माना जाएगा। इस प्रकार वस्तुओं अथवा सेवाओं के आयातों को अंतरराज्यिक आपूर्तियों के रूप में माना जाएगा और उन पर एकीकृत कर उदग्राहित किया जाएगा।
जबकि सेवाओं के आयात पर आईजीएसटी का उदग्रहण आईजीएसटी अधिनियम के अंतर्गत किया जाएगा, वहीं वस्तुओं के आयात पर आईजीएसटी की उगाही सीमा शुल्कि अधिनियम, 1962 के साथ पठित सीमाशुल्क टैरिफ अधिनियम, 1975 के अंतर्गत की जाएगी। सेवा आयातकर्ताओं को प्रतिलोमित प्रभार (रिवर्स चार्ज) आधार पर कर अदायगी करनी होगी।
तथापि, अपंजीकृत, गैर-कर योग्य प्राप्तकर्ता द्वारा ऑनलाइन सूचना और डाटाबेस उपयोग अथवा पुनर्प्राप्ति सेवाओं (ओआईडीएआर) के आयात पर भारत के बाहर स्थित आपूर्तिकर्ता करों की अदायगी करने के लिए उत्तरदायी होगा। आपूर्तिकर्ता को या तो अपना पंजीकरण कराना होगा अथवा उसे करों की अदायगी करने के लिए भारत में अपना कोई व्यक्ति नियुक्त करना होगा।
विशेष आर्थिक क्षेत्र विकासकर्ता अथवा किसी यूनिट को की गई वस्तुओं अथवा सेवाओं अथवा दोनों की आपूर्ति को अंतरराज्यिक आपूर्ति के रूप में माना जाएगा और वे एकीकृत कर देय होगा।
वस्तुओं का आयात
वस्तुओं के आयात को आईजीएसटी अधिनियम, 2017 में भारत से बाहर किसी स्थाून से भारत में वस्तुाएं लाने के रूप में परिभाषित किया गया है। सभी आयातों को अंतरराज्यिक आपूर्तियों के सभी आयातों को अंतरराज्यिक आपूर्तियों के रूप में माना जाएगा और तदनु सार उन पर अनु प्रयोज्य सीमाशु ल्क के अतिरिक्त एकीकृत कर का उदग्रहण किया जाएगा। उदग्रहण किया जाएगा। आईजीएसटी अधिनियम, 2017 में यह प्रावधान किया गया है कि भारत में आयातित वस्तुओं पर एकीकृत कर का उदग्रहण एवं संग्रहण सीमाशु ल्क टैरिफ अधिनियम, 1975 के उपबंधों के अनु रूप उक्ता अधिनियम के अंतर्गत उस स्था्न पर निर्धारित मू ल्य पर किया जाएगा जबकि उन वस्तुओं पर सीमाशु ल्क की उगाही सीमाशु ल्क अधिनियम, 1962 के अंतर्गत की जाएगी। वस्तुओं पर एकीकृत कर, लागू आधारभू त सीमाशु ल्क (बेसिक कस्टम ड्यूटी) जिसका उदग्रहण सीमा शु ल्क टैरिफ अधिनियम के अनु सार किया जाता है, के अतिरिक्त होगा। इसके अलावा, लक्जरी एवं गैर-योग्य वस्तुओं पर माल एवं सेवा कर (राज्यों की क्षतिपूर्ति) उपकर अधिनियम, 2017 के अंतर्गत जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की उगाही भी की जाएगी।
आयातित वस्तुओं पर क्षतिपूर्ति उपकर तथा एकीकृत कर लगाने का प्रावधान करने हेतु सीमाशु ल्क टैरिफ अधिनियम, 1975 में तदनु सार संशोधन किया गया है। तदनु सार, कोई भी वस्तुक जिसका भारत में आयात किया जाता है, उस पर आधारभू त सीमाशु ल्क (बेसिक कस्टम ड्यूटी) के अतिरिक्त, आईजीएसटी अधिनियम, 2017 के अंतर्गत एकीकृत कर की उगाही उस दर पर की जाएगी जिस दर पर भारत में आपूर्ति की गई उस जैसी ही किसी अन्य वस्तु पर की जाती है। इसके अतिरिक्ति, एकीकृत कर की उगाही करने के प्रयोजन के लिए वस्तुओं का मू ल्य कर-निर्धार्य मू ल्य तथा अधिनियम के अंतर्गत उद्ग्रहित सीमाशु ल्क और उस समय प्रवतृ्त किसी विधि के अंतर्गत उक्त वस्तुू पर प्रभार्य कोई अन्यं शु ल्क होगा जिसकी उगाही सीमाशु ल्क के समान विधि से की जाएगी।
उपकर की उगाही के प्रयोजनार्थ किसी आयातित वस्तु का मू ल्य कर- निर्धार्य मू ल्य तथा अधिनियम के अंतर्गत उद्ग्रहित सीमाशु ल्क और उस समय प्रवतृ्त किसी विधि के अंतर्गत उक्ति वस्तु पर प्रभार्य कोई अन्य शु ल्क होगा जिसका उदग्रहण सीमाशु ल्क के अतिरिक्त और सीमाशु ल्क के समान विधि से किया जाता है। उपकर की गणना करने के प्रयोजनार्थ प्रदत्त एकीकृत कर मू ल्य में नहीं जोड़ा जाएगा।
आइए एक उदाहरण देख
सेवाओं के आयात को आईजीएसटी अधिनियम, 2017 के अंतर्गत विशेष रूप से परिभाषित किया गया है और इसका आशय कोई ऐसी सेवा प्रदान करने से है जिसका सेवा प्रदाता भारत से बाहर रहता हो और सेवाप्राप्त्कर्ता भारत में रहता हो तथा सेवा प्रदान करने का स्थाभन भारत में हो।
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 7(1)(ख) में उल्लिखित उपबंध के अनु सार ऐसी सेवाओं के आयात को सेवा प्रदान करने के रूप में माना जाएगा जिनकी आपूर्ति किसी व्यवसाय के अनु क्रम में अथवा व्यवसाय के अननु क्रम में अथवा व्यवसाय में वद्धिृ के लिए की गई हो। इस प्रकार, सामान्यात:, बिना किसी प्रयोजन के सेवाओं के आयात को आपूर्ति के रूप में नहीं माना जाएगा। तथापि, सेवाओं के आयात को सेवाओं की आपूर्ति के रूप में मानने के लिए यह अपेक्षित नहीं है कि उनकी आपूर्ति व्यवसाय के उद्देश्ये से ही की गई हो।
इसके अतिरिक्त , सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की अनु सू ची-1 में उल्लिखित उपबंधों को ध्यान में रखते हु ए, किसी कर योग्य व्यक्ति द्वारा किसी संबद्ध व्येक्ति से अथवा सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 25 में यथापरिभाषित किसी विशिष्ट व्यक्ति से सेवाओं का आयात अपने व्यवसाय के अनु क्रम में अथवा व्यवसाय की बढ़ोत्तरी के लिए किया जाता है तो उसे सेवाओं की आपूर्ति के रूप में माना जाएगा चाहे इसका आयात बिना किसी प्रतिफल के ही क्यों न किया गया हो।
आईजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 14 में उल्लिंखित प्रावधानों अंतर्गत हम सबके द्वारा गू गल और फे सबु क से बिना किसी प्रतिफल के किए गए सेवाओं के नि:शु ल्क आयात को सेवाओं की आपूर्ति के रूप मेंनहीं माना जाता है। व्यक्तिग प्रयोग के प्रयोजनार्थ किसी गाने का आयात (डाउनलोडिंग) सेवा माना जाएगा, चाहे उसका प्रयोग किसी व्यवसाय के अनु क्रम में या किसी व्यवसाय में वद्धिृ करने के लिए न किया गया हो। भारत स्थिित किसी कं पनी की शाखा द्वारा अपनी पैरेंट (मू ल) कं पनी से व्यवसाय के अनु क्रम में अथवा व्यथवसाय को बढ़ावा देने के लिए किए गए सेवाओं के आयात को, चाहे उसका कोई प्रतिफल न हो, सेवा के रूप में माना जाएगा।
इस प्रकार, सेवाओं के आयात को इस आधार पर सेवाओं की आपूर्ति के रूप में माना जा सकता है कि क्या उनके आयात का कोई प्रतिफल है या नहीं और उस सेवा की आपूर्ति किसी व्यवसाय के अनु क्रम में की गई है अथवा किसी व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए की गई है या नहीं। इसको अधोलिखित तालिका में स्पष्ट किया गया है:
सेवा की प्रकृत | प्रतिफल | व्यापार परीक्षा (बिजनेस टेस्ट) |
सेवाओं का आयात | अनिवार्यत:अपेक्षित | अपेक्षित नही |
करयोग्य व्यक्ति द्वारा किसी विशिष्ट व्यक्ति से या किसी संबद्ध व्यक्ति से सेवाओं का आयात | अपेक्षितनही | अनिवार्यत:अपेक्षित |
आईजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 21 में उल्लिखित उपबंधों के अनु सार किसी नियु क्त दिन को अथवा उसके पश्चात किए गए सभी सेवा आयातों पर एकीकृत कर, इस तथ्य पर ध्यान दिए बिना, प्रभारित किया जाएगा कि इन सेवा आयातों के लेन-देन उस नियत दिन से पहले शु रू किए गए थे। तथापि, यदि इन सेवा आयातों पर मौजू दा विधि के अंतर्गत कर का पू रा भु गतान कर दिया गया है तो आईजीएसटी अधिनियम के अंतर्गत इन आयातों पर कोई कर देय नहीं होगा। यदि सेवाओं के इन आयातों पर मौजू दा विधि के अंतर्गत कर का आंशिक रूप से भु गतान किया गया है तो कर की शेष राशि का भु गतान आईजीएसटी अधिनियम के अंतर्गत संदेय होगा। उदाहरणार्थ, मान लीजिए कि जीएसटी लागू होने से पहले एक करोड़ रुपए की सेवा आपूर्ति की शु रूआत की गई थी और आपूर्तिकर्ता को 20 लाख रुपए का भु गतान पहले ही कर दिया गया और उस पर सेवा कर का भु गतान भी कर दिया गया था तो एकीकृत कर का भु गतान शेष 80 लाख रुपए की राशि पर किया जाएगा।
आईजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 13 में उन मामलों में आपूर्ति के स्थान का निर्धारण करने का प्रावधान है जिनमें सेवा प्रदाता अथवा सेवा प्राप्तकर्ता भारत के बाहर स्थित है। इस प्रकार, यह धारा सेवाओं की अंतर्राष्ट्रीय अथवा सीमा पार से आपूर्ति के संबंध में आपूर्ति के स्थान को सूचित करती है। किसी सेवा की आपूर्ति का स्थान यह निर्धारित करेगा कि क्या किसी सेवा को सेवाओं के आयात या निर्यात के रूप में माना जा सकता है। सेवाओं की अंतर्राष्ट्रीय आपूर्ति के लिए आपूर्ति के स्थान के संबंध में विशिष्ट प्रावधान निम्न्लिखित हैं:
क्रम सं. | परिस्थिति | आपूर्ति का स्थान |
1. | अधोलिखित विशिष्ट परिस्थितियों के अलावा कोई अन्य व्यतिक्रम (डिफाल्ट) नियम | सेवाओं के प्राप्तकर्ता का स्थान; यदि उपलब्ध न हो तो, सेवा प्रदाता का स्थान। |
2. | ऐसी वस्तुओं के लिए प्रदान कराई गई सेवाएं जिन्हें भौतिक रूप से उपलब्ध कराया जाना आवश्यक हो। | वह स्थान जहां वस्तुएं अवस्थित है जहां पर उन सेवाओं की वास्तविक रूप में आपूर्ति की गई है। |
ऐसी सेवाएं जिनके लिए सेवा प्रदाता के साथ प्राप्तकर्ता अथवा उसकी ओर से किसी व्यक्ति की मौजू दगी आवश्यक हो। | ||
2.1 | ऐसी सेवाएं जो वस्तुओं के संबंध में दरसू ्थ स्थान से इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से प्रदान कराई जाती हैं। | वह स्थान जहां सेवाएं प्रदान करने के समय पर वस्तुएं अवस्थित हों। |
यह प्रावधान उन वस्तुओं पर लागूनहीं होता है जिनका मरम्मत के लिए भारत में अस्थायी रूप से आयात किया जाता है और मरम्मत करने के पश्चात उनका निर्यात कर दिया जाता हैं। | ||
3. | ऐसी सेवाएं जो अचल संपत्ति के संबंध में प्रत्यक्षत: प्रदान की जाती हैं। | वह स्थाान जहां वह अचल संपत्ति स्थित है अथवा स्थित होना आशयित है। |
4. | किसी इवेंट का आयोजन करना अथवा उसमें भाग लेना। | वह स्थाान जहां वस्तुत: उस इवेंट का आयोजन किया गया हो। |
4.1 | उपर्युकर्यु्त सेवाएं भारत सहित एक से अधिक देशों में प्रदान कराई गई हों। | भारत |
4.2 | उपर्युकर्यु्त सेवाएं एक से अधिक राज्य में प्रदान कराई गई हों। | आनुपातिक आधार |
5. | किसी बकैंिंग कं पनी या किसी वित्तीय संस्थान या किसी गैर- बकैंिंग वित्ती य कं पनी द्वारा अपने खाताधारकों को प्रदान कराई गई सेवाएं। | सेवा प्रदाता की अवस |
5.1 | मधयव् र्ती सेवाए | |
5.2 | परिवहन के साधनों, जिनमें नाव भी शामिल है, को एक माह की अवधि तक के लिए किराए पर देने की सेवाएं, परंतु इन सेवाओं में एयरक्राफ्ट तथा जहाज शामिल नहीं हैं। | |
6. | मेल या कूरियर माध्यम के अतिरिक्त किसी अन्य माध्यम से वस्तुओं का परिवहन | इन वस्तुओं के पहुंचने का स्थान। |
7. | यात्री परिवहन सेवाएं | वह स्थान जहां से यात्री एक निरंतर यात्रा के लिए वाहन पर चढ़ते हैं। |
8. | किसी वाहन से यात्रा करने के दौरान प्रदान कराई गई सेवाएं। | यात्रा के लिए उस वाहन के प्रस्थान करने का पहला निर्धारित स्थान। |
9. | ऑनलाइन सू चना एवं डाटाबेस उपयोग या पु नर्प्राप्ति सेवाएं (ओआईडीएआर)। | सेवाओं के प्राप्तिकर्ता की अवस्थिति। |
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