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Dual GST in India – Meaning, Provisions in Hindi with Example
जी.एस.टी. के दौरान दोहरे नियंत्रण का प्रश्न
केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के बीच अभी एक मुद्दा और अटका हुआ है और वह है डीलर्स पर प्रशासनिक नियंत्रण का. केद्र और राज्यों के बीच इसमें सबसे बड़ा मुद्दा उन डीलर्स का है जो अंतरप्रांतीय व्यापार करते है और केंद्र इन डीलर्स का नियंत्रण अपने पास ही रखना चाहता है और इसके साथ सर्विस टैक्स डीलर्स के नियंत्रण को भी केंद्र राज्यों को देने को तैयार नहीं है.सर्विस टैक्स डीलर्स के बारे में केंद्र अपने विभाग का 22 साल के अनुभव का तर्क देता है लेकिन राज्यों की मांग इस सम्बन्ध में केद्र के विचार से मेल नहीं खाती है .
केंद्र और राज्य इन डीलर्स के अलावा बाकी डीलर्स का नियंत्रण एक विशेष बिक्री को आधार मानते हुए बांटने को तैयार है जिसके अनुसार 150 लाख तक की बिक्री के डीलर राज्यों के नियंत्रण में रहेंगे और इसके बाद के डीलर केंद्र के . इसके अतिरिक्त एक खबर यह भी है कि केंद्र के पास अप्रत्यक्ष कर सम्हालने के लिए जो कर्मचारी है वह राज्यों में यह कुल वेट कर्मचारियों की संख्या से काफी कम है इसलिए भी केंद्र और राज्य के बीच डीलर्स के नियंत्रण के सवाल पर विवाद बना हुआ है बना हुआ है और फिलहाल इस समस्या का हल राज्य और केंद्र जी.एस.टी. कौसिल के माध्यम से खोज रहें है जिसके लिए दिनांक 22 एवं 23 दिसंबर को जी.एस.टी. कौंसिल की मीटिंग फिर से होगी और इस विवाद का हल निकाला जाएगा और इसी दिन सी.जी.एस.टी. और आई.जी.एस.टी. कानून के प्रारूप को अंतिम रूप दिया जाएगा लेकिन यहाँ ध्यान रखें कि इससे पूर्व ही संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त हो जाएगा इसलिए इस सत्र में जी.एसटी. कानून को रखा जाना संभव नहीं है .
क्या भारत में लगने वाला जी.एस.टी. एक दोहरा कर है
यह एक बहुत अधिक बार पूछा गया बेसिक प्रश्न है .
जी.एस.टी. के बारे में आम एवं प्रचारित धारणा यह है कि यह एक “एकल कर” है एवं सभी प्रकार के अप्रत्यक्ष करों की जगह अब व्यापार एवं उद्योग जगत को सिर्फ एक ही कर का भुगतान करना होगा और यही जी.एस.टी. का आदर्श स्वरूप भी है जिसके तहत केंद्र सरकार को एक ही जगह सारा कर एकत्र करने के बाद उसे केंद्र एवं राज्यों के बीच बांटना था .
लेकिन राज्य अपना कर लगाने का अधिकार नहीं छोड़ना चाहते थे और यह केंद्र और राज्यों के बीच जी.एस.टी. को लेकर जो वर्ष 2006-07 में प्रारम्भिक बैठकें हुई थी उनमें ही यह तय हो गया था केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित “जी.एस.टी.के एकल कर का स्वरुप ” भारत के संघीय ढांचे को देखते हुए संभव नहीं है इसलिए राज्यों और केंद्र के बीच एक समझोता हुआ जिसके तहत यह तय पाया गया कि बिक्री एवं सेवा के एक ही व्यवहार पर राज्य एवं केंद्र दोनों अलग – अलग कर वसूल करेंगे जो कि राज्यों के जी.एस.टी. अर्थात “एस.जी.एस.टी.” एवं केन्द्रीय सरकार का जी.एस.टी. अर्थात “सी.जी.एस.टी.” के रूप में जाने जायंगे इसके अतिरिक्त माल के साथ सेवाओं पर भी कर लेने का अधिकार राज्यों को भी मिल जाएगा.
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आइये इसे एक उदाहरण के जरिये समझने की कोशिश करें
मान लीजिये कि हम यहाँ एक ऐसी वस्तु पर जी.एस.टी. का जिक्र कर रहें है जिस पर कर की दर 18 प्रतिशत होगी और इस 18 प्रतिशत की दर को केंद्र एवं राज्य 10 प्रतिशत एवं 8 प्रतिशत की दर से बांटने का फैसला करने है . यह हमारी इस उदाहरण की पृष्ठभूमि है और इसी काल्पनिक पृष्ठभूमि के आधार पर आप भारत में लगने वाले जी.एस.टी. को समझाने का प्रयास करें :-
जयपुर का एक व्यापारी “अ” जयपुर के ही एक दूसरे व्यापारी “ब” को कोई माल 10 लाख रुपये में बेचता है और मान लीजिये कि राज्यों के जी.एस.टी. की दर 8 प्रतिशत है एवं केंद्र के जी.एस.टी. की दर 10 प्रतिशत रहती है इसा प्रकार जी.एस.टी. की कुल दर 18 प्रतिशत हुई जैसा कि प्रचारित भी किया जा रहा है तो “अ” इस व्यवहार में 80000.00 रुपये एस.जी.एस.टी. (राज्य का जी.एस.टी.) एवं 1.00 लाख रुपये सी.जी.एस.टी. (केंद्र का जी.एस.टी.) के रूप में अपने खरीददार “ब” से वसूल करेगा.
आइये अब इस व्यवहार को और भी आगे ले जाए और देखे कि इसी माल को जयपुर का “ब” नामक व्यापारी अब राजस्थान के ही अन्य शहर जोधपुर के किसी अन्य शहर के व्यापरी “स” को 10.50 लाख रुपये में बेचता है तो वह 84000.00 रुपये एस.जी.एस.टी. एवं 1.05 लाख रुपये सी.जी.एस.टी. के रूप में वसूल करेगा .
यहाँ ध्यान रखे कि “ब” पहले से ही एस.जी.एस.टी. के रूप में अपना माल खरीदते हुए 80000.00 रूपये का भुगतान कर चुका है एवं सी.जी.एस.टी. के रूप में 1.00 लाख रुपये का भुगतान इसी प्रकार कर चुका है एवं इस प्रकार “ब” की इनपुट क्रेडिट एस.जी.एस.टी. के रूप में 80000.00 रुपये है एवं सी.जी.एस.टी. के रूप में इनपुट क्रेडिट 1.00 लाख रुपये है जिसे वह अपने द्वारा “स” से वसूल किये गए कर में घटा कर जमा करा देगा.
इस प्रकार “ब” एस.जी.एस.टी. के रूप में (रुपये 84000.00 – रुपये 80000.00 ) 4000.00 रुपये का भुगतान राज्य के खजाने में जमा कराएगा एवं इसी प्रकार से सी.जी.एस.टी. (रुपये 1.05लाख – रुपये 1.00 लाख ) 5000.00 रुपये केन्द्रीय सरकार के खजाने में जमा कराएगा.
इस पूरे व्यवहार को देंखे तो इससे केंद्र सरकार को 1.05 लाख रूपये का कर मिलेगा और और राज्य सरकार को 84000.00 रुपया कर को मिलेगा.
यहाँ यह ध्यान रखें कि राज्य के भीतर माल का वितरण या बिक्री करने पर भी केंद्र और राज्य दोनों को कर देना होगा और अब से व्यापारी एक ही बिल में “दो कर” जैसा कि ऊपर बताया गया है एक ही बिल में लगाएगा और यह तथ्य कि एक ही बिल में अब डीलर्स को दो टैक्स एक ही बिल में लगायेंगे जायेंगे तो फिलहाल आपके लिए एक आश्चर्यचकित करने वाला तथ्य हो सकता है .
इस कर में माल एवं सेवाओं दोनों को शामिल किया जाएगा लेकिन एक ही व्यवहार पर जैसा कि ऊपर समझाया गया है केंद्र एवं राज्य दोनों ही कर लेंगे इसलिए भारत में लगने वाला यह “माल एवं सेवा कर” एक दोहरा कर है जिसे एस.जी.एस.टी. एवं सी.जी.एस.टी.के नाम से जाना जाएगा.
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